नि:स्वार्थ परमार्थ

आओ मनाये, सार्थक दीवाली।

चकाचौध से दूर,
मिठाई का मतलब गुड़ जानने वाले,
आदिवासी गाँव के बच्चों
के मन मे खुशियों का दिया जलाने
हम बहुत सारी मिठाइयों और पटाखों के साथ,आदिवासी गांव मवैया,शंकरगढ़ में
रविवार,8 नवंबर को संस्था दीवाली मनायेगी।

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नि:स्वार्थ परमार्थ

मिशन शक्ति के तहत स्लम में कन्या पूजन व महाभोज

विशाल संकल्प संस्था द्वारा ,इस बार नवरात्रि में द्वितीया को मलिन (स्लम)बस्ती में कन्या पूजन व् भोज किया गया।
ज्योति तो ज्योति होती है वो महल में हो या कुटियां में,एक ही होती है।

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स्लम में कन्या पूजन।
महकने दो

स्लम में कन्या पूजन।

एक कार्यक्रम नही,एक विचारधारा है।
गत वर्षों की तरह इस साल भी 108 कन्या पूजन होगा,लेकिन नये कलेवर में। इस बार ये कार्यक्रम अष्टमी को नही द्वितीया को होगा।आप सबकी उपस्थिति हेतु

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ram babu
बदलाव

विशाल संकल्प संस्था द्वारा आयोजित बदलाव टॉक शो में सुनिये

5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर ये कार्यक्रम पर्यावरण मित्रों को समर्पित है जिनके माध्यम से पर्यावरण में बदलाव आ रहा है।

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badalaw
बदलाव

डॉ सोदान सिंह तरार अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी युगांडा अफ्रीका

दूर रहकर भी अपने वतन के लिये कुछ करने का जज़्बा हर भारतीय के अंदर शायद ही नही होता होगा लेकिन विरले ही होते है जो इस जज़्बे को मिसाल में बदल देते है है।

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विशाल संकल्प संस्था ने भूखे बच्चों को बाटा राशन।
Volunteer

विशाल संकल्प संस्था ने भूखे बच्चों को बाटा राशन।

विशाल संकल्प संस्था के द्वारा जरूरत मंद बच्चों को राशन वितरित किया गया।वोट क्लब के पास बच्चों को 1 मीटर के गोले में दूर2 बिठा कर कोरोना वायरस के बारे में बताया गया,

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Environment

मानवता का अप्रतिम उदाहरण।

कल बाज़ार में फल खरीदने गया, तो देखा कि एक फल की रेहड़ी की छत से एक छोटा सा बोर्ड लटक रहा था, उस पर मोटे अक्षरों से लिखा हुआ था…

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vishalsankalp
Environment

‘युवा’शब्द से ही उत्साह, स्फूर्ति, सक्रियता आदि गुणों का बोध होता है।

‘युवा’ शब्द वास्तव में आयु- रूप- अर्थ प्रदान करने से परे सकारात्मक गुणों, सक्रिय व्यक्तित्व का बोध अधिक करवाता है।स्वामी विवेकानन्द ने युवा शक्ति का केंद्र शारीरिक बल को नहीं, वरन् मानसिक शक्तियों को माना।

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बिना स्वार्थ के काम में बहुत जुगत लगानी पड़ती है।
नि:स्वार्थ परमार्थ

बिना स्वार्थ के काम में बहुत जुगत लगानी पड़ती है।

ईश्वर की ओर चलने वाले रास्ते बहुत मुश्किल वाले होते है,लेकिन अंततः सुकून ही देते है।आज की प्रार्थना , हे नाथ अब तो ऐसी दया हो, जीवन निरर्थक जाने ना पाये।

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vishal sankalp
नि:स्वार्थ परमार्थ

ना मैं ये बूढ़ी दादी का नाम जानती हूँ और ना ये मेरा।

विशाल संकल्प का प्रयास,कुछ कम्बल बाट कर फ़ोटो खिंचवाना नही,बल्कि ऐसे लोगों तक मानवता के अहसास की गर्माहट पहुँचाना है।

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