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विशाल संकलप संस्था (एन. जी. ओ) गैर सरकरी संस्था है जो कि निस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा में पिछले दो दशकों से कार्यरत है।
संस्था की नीव सन २००० में रखी गयी व २ जुलाई २००७ में संस्था रेजिस्टर कराई गयी। मानव जीवन को सफल बनाने के लिए, मुस्कान संग, मानवता की सेवा करना संस्था का मूल उद्देश्य है।
प्रायः अंधेरो की बाते करने से अंधेरा दूर नहीं होता। अंधेरे की बात करने से बेहतर है कि एक छोटा सा दीप जलाय—
आओ मिलकर छोटे प्रयास से,
बड़े परिवर्तन की राह बनाय।

ये पंक्तियां संस्था का परिचय देने के लिये पर्याप्त है। यथार्त भी यही है कि किसी भी बड़ी संख्या की गिनती इकाई से ही शुरू होती है। यदि हम सभी सुधार की शुरुआत स्वयं से करे तो कुछ भी असंभ्व नहीं। बूंद बूंद से घड़ा भरता है। उसी तरह हम एक छोटा सा दीप बनकर और अपनी स्तर की पूरी उर्जा हस्तांतरित करके, प्रकाश फैला सकते है। ये प्रकाश भी अलग ही है जो प्रकाशित करने वाले और प्रकाशित करने वाले दोनो को सुख देता है। बड़े परिवर्तन के लिए ये ज़रुरी है कि हम सब अपने अपने हिस्से की भागीदारी निभाय।
तर्क देने के लिए लोग कह सकते है कि एक छोटे से दीपक से क्या होगा, सच में ज़्यदा कुछ नहीं बस इतना होगा कि रोशनी की उम्मीद छोड़ चुके शहर के जीवन में रोशनी आ जायगी और जब कभी इतिहास लिखा जायगा आपका नाम दीप जलाने वाले के रूप में लिखा जायग, अंधेरों की बात करने वालो के रूप में नहीं।
विशाल संकल्प की स्थापना श्रीमति अंजली केसरी ने इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर की। पहले संस्था का नाम नारी शक्ति जाग्रत संस्था था। लेकिन २०१६ में एक सड़क हादसे में अपने पति को खोने के बाद अंजली जी ने यह संस्था पति के स्मृतियों को चिर रखने के लिए उन्हीं को समर्पित कर दी व उनके संकल्पों को पूरा कराने का मध्यम बना दिया। वर्तमान में संस्था का नाम “ विशाल संकल्प” है।
अंधेरों की बात करना नहीं बल्कि एक दीप जलाना पसंद है। उनका जो सीमित साधन होने के बावजूद मानवता की असीमित सेवा करना चाहते है। उनका जो ईश्वर के इस विज्ञान को समझते है कि जब कभी आप किसी की सेवा करते है तत्क्षण ईश्वर आपकी सेवा में किसी ना किसी को लगा देते है। उनका जो अपने देश के लिए कुछ करना चाहते है।
उनका जो मानव जन्म को यूंही नहीं बिताना चाहते है।
आइए हम सब मिलकर छोटे-छोटे प्रयासो से मानवता की सेवा करे। विश्वास मानिये इस दैवी कार्य से मिलने वाला सुख की तुलना आप किसी भी सुख से नहीं कर पायेंगे।

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