थके प्यासे राहगीर की प्यास बुझाते से, अक्सर मैंने देखा है,मेरी प्यास बुझ जाती है।
और संकट में किसी को निज पतवार पकड़ाने से, अक्सर मैंने देखा है,मेरी नैय्या तर जाती है।
गंगा दशहरा के पावन अवसर पर,गत बीस वर्ष की भांति इस वर्ष भी संगम तट पर शर्बत सेवा का आयोजन हुआ। गंगा तट पर रहना सौभाग्य है हमारा। संगम पर लाखों स्नानार्थी गंगा दशहरे पर स्नान के लिये आते है।जेठ की गर्मी में उन्हें ठंडा मीठा शर्बत निवेदित करके तृप्त करने में,अगल ही तृप्ति मिलती है।गत वर्षों की भांति, विशाल संकल्प संस्था द्वारा दिनांक,09,06,22 गंगा दशहरे के पावन अवसर पर शर्बत सेवा का आयोजन संगम में हुआ ।
दिनांक,09,06,22
समय,सुबह 5 बजे से शाम तक
स्थान,बड़े हनुमान मंदिर के पास,पार्क के सामने,संगम जाने वाले रास्ते पर।प्रयागराज।
अंजलि विशाल
विशाल संकल्प