ना मैं ये बूढ़ी दादी का नाम जानती हूँ और ना ये मेरा।

विशाल संकल्प का प्रयास,कुछ कम्बल बाट कर फ़ोटो खिंचवाना नही,बल्कि ऐसे लोगों तक मानवता के अहसास की गर्माहट पहुँचाना है।

सर्दी का मौसम,
नर्म मुलायम कम्बल,
खाने पीने को गर्मागर्म आइटम,
सच में शायद जन्नत इसी को कहते होंगे।
लेकिन,
हमारे ही देश मे कुछ लोग ऐसे है।
जिन्हें नर्म और गर्म क्या,
तन ढकने को भी वस्त्र नही।
कम्बल तो दूर की बात है।

आदरणीय प्रेमचन्द्र जी की पूस की रात कहानी याद है?हाड़ कंपाने वाली ठंड और आधी रात को खेत मे पहरा देना और किसान हल्कू और जबरा कुत्ता ठंड से बचने के लिये एक दूसरे चिपके थे।फिर भी सुबह तक भयानक ठंड और शीतलहर का सामना कर नही पाये।

आज भी गाँव मे ऐसे बहुत से लोग मिल जायेंगे।जिनके पास ठंड से बचने के पर्याप्त साधन नही।

आइये,थोड़ा सा दायरा बढाइये।
आपको ईश्वर ने बहुत दिया है उसमें से कुछ अंश दान अच्छे काम के लिये करिये।
विशाल संकल्प संस्था,प्रति वर्ष निःस्वार्थ परमार्थ कार्यक्रम के अंतर्गत कम्बल वितरण सेवा का आयोजन करती है,इस बार भी ये सेवा आयोजित हो रही है।संस्था का दावा है कि हमेशा की तरह इस बार भी हम सत्पात्र तक ही कम्बल पहुचाएंगे।
सेवा क्षेत्र का सर्वे हो चुका है,इस बार आदिवासी गाँव,मवैया में कम्बल वितरण होगा।ये जगह प्रयाग से 55 किमी दूर,शंकरगढ़ ब्लाक में है।
साथ ही 31 की रात में भी कम्बल वितरण होगा।
कम्बल की संख्या आपके सहयोग के द्वारा ही निश्चित होगी।
कम से कम एक कम्बल तो हम सभी दे ही सकते है,बाकी आपकी मर्जी।इस सन्देश को शेयर भी करिये।
अंजलि विशाल
विशाल संकल्प
Ptm,9926690802

(VISHAL SANKALP)
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ना मैं ये बूढ़ी दादी का नाम जानती हूँ और ना ये मेरा।

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